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लेखनी प्रतियोगिता -19-Jun-2022

लगता हैं...

तुम को पाकर कुछ यूं लगता हैं,
जैसे हर ख्वाब मुकम्मल सा लगता है।

अब तक शहजादे हुआ करते थे कहानीयों में,
मैंने खुदा का अक्स भी तुझमे ही देखा है।

अब तक सारे रंग, बैरंग लगते थे,
तुझ संग ये रंगीन अब जहां लगता है।

मेरे रास्ते, मंज़िल, ख्वाब भी तू है,
बस तुमसे तुम तक की दूरी तय करना हैं ।

तुमसा कोई नही होगा इस कायनात में,
ये प्यार मैंने प्यार से भी प्यारा देखा है ।

तुझे खुदा मानु, या मानु उसका तोहफा,
तुझे मुझे देकर उसने बंदगी देखी है।

सुना करता था कहानियां हीर रांझा की
मुझे मेरी हीर तो इन सबसे न्यारी लगती है।

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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

22-Jun-2022 11:40 AM

बहुत खूबसूरत

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Pallavi

21-Jun-2022 05:22 PM

Nice 👍

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Punam verma

20-Jun-2022 11:25 AM

Nice

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